बी 
भोपाल l चुनाव आयोग द्वारा बी एल ए के कार्यक्षेत्र में अचानक किया गया परिवर्तन मतदाता सूचियों में फर्जी नाम जुड़वाने की भाजपा को छूट देने की योजना का हिस्सा है l उल्लेखनीय है कि पहले के नियमों के मुताबिक बी एल ए जिस बूथ के लिए नियुक्त किया जाता था, वह उसी बूथ की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने या इस बीच मर चुके या कहीं स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम कटवाने की प्रक्रिया तक अधिकृत था l अब नये नियम के तहत वह उस समूची विधानसभा में कहीं भी वोट जुड़वाने के फार्म भर कर देने या नाम कटवाने की सिफारिश कर सकता है l
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने इस नए प्रावधान का विरोध करते हुए कहा है कि यह सत्ताधारी पार्टी की सुविधा के अनुसार मतदाता सूची में नाम जुड़वाने और विरोधी दलों के मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश का हिस्सा है l
माकपा नेता ने कहा है कि हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद बिहार की मतदाता सूची को लेकर जिस प्रकार के प्रश्न उठे हैं, चुनाव आयोग का यह कदम उन संदेहों को और पुख्ता करता है l जो लोकतंत्र के लिए तो चिंतनीय है ही, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवालिया निशान लगाता है, जो पहले से ही आमजनता की नजरों में गिर चुकी है l
माकपा नेता चुनाव आयोग से उक्त निर्णय वापस लेने की मांग की है


