शुभ संकेत/कोरबा;-(प्रकाश साहू की रिपोर्ट)छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से एक बड़ा प्रशासनिक लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां शासन की स्पष्ट रोक के बावजूद अधिगृहीत भूमि का पंजीयन कर दिया गया। इस गंभीर मामले को लेकर जिला कलेक्टर अजीत वसंत ने सख्त रुख अपनाते हुए उप पंजीयक कोरबा श्रीमती पावरेम मिंज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।
कोरबा जिले के कटघोरा विकासखंड अंतर्गत अर्जित ग्राम रलिया की भूमि शासन द्वारा भू-अर्जन प्रक्रिया में अधिसूचित की गई है। ऐसे में इस ग्राम में भूमि की खरीदी-बिक्री, अंतरण या उपयोग परिवर्तन पर पूर्ण प्रतिबंध है।
इसके बावजूद, ग्राम निवासी सहसराम पिता दुलार साय ने हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका (WPC 764/2025) दायर कर भूमि विक्रय की अनुमति मांगी। हाईकोर्ट ने आदेश में केवल यह कहा कि यदि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच बिक्री विलेख निष्पादित हुआ है और उस पर कोई कानूनी अड़चन नहीं है, तो उप पंजीयक विधि सम्मत निर्णय ले।
लेकिन उप पंजीयक ने हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए सीधे तौर पर जमीन की रजिस्ट्री कर दी, जो कि शासन के निर्देशों और न्यायालय की मंशा का उल्लंघन है।
उप पंजीयक ने 11 जुलाई 2025 को तहसील दीपका के अर्जित ग्राम रलिया स्थित खसरा नंबर 149/2, 168, और 192/2, कुल 0.445 हेक्टेयर भूमि को नाबालिग क्रेता विशाल सिंह, पालक नवल कुमार मरावी के नाम पंजीकृत कर दिया। यह रजिस्ट्री दस्तावेज क्रमांक CG-2025-26-160-1-607 के तहत दर्ज हुई।
कलेक्टर अजीत वसंत ने इस कार्यवाही को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के उल्लंघन की श्रेणी में मानते हुए 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।
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कोरबा में बड़ा खुलासा: अधिगृहीत जमीन की रजिस्ट्री कर भूमि पंजीयन घोटाला उजागर
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