📍 स्थान: ग्राम पंचायत बरबसपुर, आश्रित ग्राम छेवधरा
🗓️ तारीख: 20 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत बरबसपुर के अधीन आने वाले छेवधरा गांव में लगातार हो रही भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ ने कहर मचा दिया है। गांव के तीन अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ से जुड़ी घटनाओं ने लोगों की दैनिक जीवनचर्या को ठप कर दिया है।
🔴 1. मुख्य पुल बहा, गांव का संपर्क टूटा
छेवधरा गांव के मुख्य संपर्क मार्ग पर बना पुल बाढ़ की चपेट में आकर पूरी तरह से टूट चुका है। यह पुल गांव के लिए जीवनरेखा था, जिससे आवाजाही, स्कूली बच्चों की सुरक्षा, किसानों की आवक-जावक और बीमारों को अस्पताल पहुंचाना संभव होता था। अब यह पुल बह जाने से ग्रामीण पानी से भरे गड्ढे और दलदल से गुजरने को मजबूर हैं।
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🌳 2. करखी पारा में पुल पर पेड़ गिरा, रास्ता बंद
गांव के करखी पारा इलाके में, एक और पुल बारिश से कमजोर हो चुका था। वहीं, तेज जल बहाव की वजह से पास का एक विशालकाय पेड़ जड़ से उखड़ गया और पुल पर गिरकर उसे पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया।
अब यह मार्ग भी पूरी तरह से अवरुद्ध हो चुका है, जिससे आसपास के ग्रामीणों का मुख्य बाजार और स्कूल तक पहुंचना नामुमकिन हो गया है।
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🌊 3. जटाशंकरी हाइड्रोपावर प्लांट के पास स्टॉप डेम बहा
तीसरी घटना जटाशंकरी हाइड्रोपावर प्लांट के सामने की है, जहां अहिरन नदी पर बना स्टॉप डेम बाढ़ की भीषण धार का सामना नहीं कर सका और पूरी तरह बह गया। इस नदी का रौद्र रूप देखना भयावह है। डेम के साथ-साथ पास की सड़कें और संरचनाएं भी खतरे में हैं।
यह डेम जल नियंत्रण और ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इससे स्थानीय पर्यावरण और ऊर्जा आपूर्ति पर भी संकट मंडराने लगा है।
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🗣️ ग्रामीणों की गुहार और प्रशासन से मांग
ग्रामीणों ने बताया कि इन तीनों स्थानों पर पहले से संरचनाएं कमजोर हालत में थीं, लेकिन समय पर मरम्मत और संरक्षण नहीं किया गया। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चों की पढ़ाई, बीमार लोगों का इलाज और खेती-किसानी सब प्रभावित हो रहा है।
> “हमने कई बार प्रशासन को बताया, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। अब हम बाढ़ में फंस गए हैं,” – एक ग्रामीण ने बताया।
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📢 ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:
तीनों स्थानों पर आपातकालीन पुल या वैकल्पिक रास्ते बनाए जाएं
क्षतिग्रस्त संरचनाओं का तुरंत पुनर्निर्माण हो
प्रशासन द्वारा स्थलीय निरीक्षण कर राहत कार्य जल्द शुरू किए जाएं
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👉 यदि यह खबर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक पहुंचती है, तो जल्द कार्यवाही की उम्मीद की जा सकती है। ग्रामीणों की जान और भविष्य दोनों को बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि अब देर न की जाए।