12वें डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि मेड-इन-इंडिया उपकरणों पर भारतीय रक्षा बलों का बढ़ता भरोसा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दिखाता है। साथ में यह इस बात की तस्दीक करता है कि सिर्फ मुट्ठीभर कंपनियों के दबदबे वाले ग्लोबल डिफेंस सेक्टर में भारत अपनी जगह बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम कबूतर उड़ाया करते थे और अब चीते छोड़ते हैं। ये कार्यक्रम छोटे लग सकते हैं लेकिन इनमें बड़ा संदेश छिपा हुआ है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में कुछ निर्माण कंपनियों के एकाधिकार के बावजूद भारत ने अपना स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि यह भारत में निर्मित रक्षा सामग्री पर बढ़ते विश्वास का भी प्रतीक है, जिसका उद्देश्य देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। पीएम ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते भारत की बुलंद तस्वीर पेश करते हुए कहा, ‘आर्मी ने देश में ही बने 411 उत्पादों को खरीदने का फैसला किया है। इस लिस्ट में 101 वस्तुएं अभी हाल में जुड़ी हैं। यह आत्मनिर्भर भारत की क्षमताओं को दिखाता है।’ इससे भारतीय रक्षा उद्योग को बहुत बढ़ावा मिलेगा।
पीएम मोदी ने दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक भारत के अब निर्यातक बनने के सफर को भी बयां किया। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में 8 गुना बढ़ा है। भारत से रक्षा निर्यात 2021-22 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आने वाले समय में इसे 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत की तकनीक पर भरोसा कर रही है। आज 75 से ज्यादा देश भारत से रक्षा सामग्री खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा , ‘दुनिया भारतीय प्रौद्योगिकी पर भरोसा कर रही है क्योंकि हमारे सशस्त्र बलों ने अपनी क्षमताओं को साबित किया है। हम 75 से अधिक देशों को रक्षा सामग्री एवं उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं। भारत ने अपने रक्षा बजट का 68 प्रतिशत भारतीय कंपनियों के लिए निर्धारित किया है।’
डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया पवैलियन में हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित देसी ट्रेनर एयरक्रॉप्ट एचटीटी-40 पर से पर्दा उठाया। उन्होंने मिशन डिफेंस स्पेस को भी लॉन्च किया जिसका उद्देश्य 75 चुनौतियों का समाधान पेश करने के लिए स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को न्योता देना है।