पति-पत्नी के अलग होने पर कैसे तय होता है गुजारा भत्ता? गाइडलाइन तय करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि गुजारा भत्ता के लिए एक गाइडलाइन तय की जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने जो सवाल उठाया है उस पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही विचार कर चुका है और उस पर फैसला दिया जा चुका है। चीफ जस्टिस की कोर्ट में हिंदी में सुनवाई हुई और फिर अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता के लिए गाइडलाइंस पहले से जारी हो रखा है और अर्जी खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि गुजारा भत्ता के लिए सीआरपीसी की धारा-125, हिंदू मैरिज एक्ट और डीवी एक्ट आदि के तहत जूरिडिक्शन बनता है और इन तमाम मामलों को एक छतरी के नीचे लाया जाना चाहिए। क्योंकि इन तमाम प्रावधानों के कारण कई जूरिडिक्शन का पक्षकारों द्वारा इस्तेमाल होता है। कई बार विरोधाभासी आदेश तक पारित हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस मामले को पहले ही देखा है और तत्कालीन जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला दिया था। यह तय किया जा चुका है कि यदि महिला को किसी कानून के तहत गुजारा भत्ता मिल रहा है तो उसे अन्य फोरम के तहत अतिरिक्त गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा।

चीफ जस्टिस ने कहा कि नवंबर 2020 में तत्कालीन जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अगुवाई वाली बेंच ने गुजारा भत्ता के लिए गाइडलाइंस तय कर रखी है और ऐसे में इस मामले में दाखिल याचिका खारिज की जाती है।

आखिर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गुजारा भत्ता को लेकर क्या गाइडलाइंस हैं……..

-सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में गुजारा भत्ता और निर्वाह भत्ता तय करने के लिए अहम फैसला दिया हुआ है और कहा है कि दोनों पार्टियों को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान अपनी असेट और लाइब्लिटी ( संपत्ति और अपने खर्चे यानी देनदारियों) का खुलासा अनिवार्य तौर पर करना होगा।

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता के लिए अदालत में आवेदन दाखिल करने की तारीख से ही गुजारा भत्ता तय होगा।

-सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में देश भर की जिला अदालतों, फैमिली कोर्ट के लिए गाइडलाइंस जारी किए हैं कि किस तरह से गुजारा भत्ता के मामले में आवेदन होगा और कैसे मुआवजे की रकम का भुगतान होगा।

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अलग-अलग कानूनी प्रा‌वधान है जिसके तहत पक्षकारों द्वारा गुजारा भत्ता का दावा किया जाता है। इनमें सीआरपीसी की धारा-125, हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट व घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता का दावा किया जाता है। इन मामलों में पहले अलग-अलग फैसले हुए हैं।

-हाई कोर्ट ने कई बार फैसला दिया कि ये सब कार्यवाही अलग-अलग है ऐसे में मुआवजे की राशि दूसरे केस से एडजस्ट नहीं होगा। वहीं अन्य फैसले में कहा गया कि एडजस्ट होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के विरोधाभास को खत्म करने के लिए हम निर्देश जारी करते हैं कि जब भी मामले में गुजारा भत्ता के लिए अर्जी दाखिल किया जाए तो पहले की कार्यवाही के बारे में खुलासा किया जाए और तब कोर्ट पिछले गुजारा भत्ता या आदेश को देखकर अपने फैसले में विचार करेगी और एडजस्ट कर सकती है।

–दोनों पार्टियों को इनकम, खर्च के अलावा जीवन यापन के स्टैंडर्ड के बारे में दस्तावेज देना होगा ताकि उस हिसाब से स्थायी एलमनी तय हो। खर्च के तौर पर बच्चों की शादी के होने वाले खर्च को भी इसमें शामिल करना होगा। बच्चे की शादी का खर्च पति की हैसियत और कस्टम के हिसाब से तय होगा।

–सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए कोई स्ट्रेटजैक फॉर्मूला नहीं है कि कैसे गुजारा भत्ता तय होगा। ये पार्टियों के स्टेटस पर निर्भर है साथ ही पत्नी की जरूरत, बच्चों की पढ़ाई, पत्नी प्रोफेशनल तरीके से पढ़ी है या नहीं, उसकी आमदनी क्या है, क्या उसकी आमदनी से जीवन निर्वाह हो सकता है, क्या शादी से पहले से नौकरी थी, क्या शादी के दौरान नौकरी में थी, क्या नॉन वर्किंग है इन तमाम बिंदुओं को देखना होगा।

–सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि जिस तारीख को गुजारा भत्ता के लिए आवेदन दाखिल किया जाएगा उसी तारीख के हिसाब से गुजारा भत्ता तय होगा। अदालत ने कहा कि मेंटेनेंस और एलमनी का जो भी आदेश होगा उसे पालन कराना सुनिश्चित करना होगा और आदेश का पालन नहीं होने की स्थिति में आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कंटेप्ट ऑफ कोर्ट होगा।

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