(मध्यप्रदेश) अनूपपुर
एम.बी. पावर (मध्य प्रदेश) लिमिटेड, लहरपुर-जैथारी परियोजना में मध्यप्रदेश राज्य की आदर्श पुनर्वास नीति 2002 और कंपनी अनुबंध की शर्तों का खुला उल्लंघन सामने आया है।
मृतक श्री देवलाल प्रजापति की पत्नी श्रीमती रामकली प्रजापति ने कंपनी प्रबंधन को भेजे गए ईमेल पत्र के माध्यम से गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुनर्वास अनुबंध के तहत कंपनी को आईटीआई प्रशिक्षित सदस्यों को “स्किल्ड कैटेगरी” में नौकरी देनी थी, प्रबंधन ने स्वयं यह लिखित में दिया था परंतु कंपनी प्रबंधन ने जानबूझकर उन्हें “सेमी-स्किल्ड” श्रेणी में रखकर उनके अधिकारों का हनन किया।
पत्र के अनुसार, कंपनी प्रबंधन ने सभी 57 आईटीआई प्रशिक्षित सदस्यों को ठेका समिति के माध्यम से शुरुवात में Adecco इंडिया Pvt. Ltd. में दैनिक वेतन पर नियुक्त किया और लगभग 06 वर्षों तक स्किल्ड श्रेणी का वेतन भुगतान नहीं किया। और 01/04/2021 को mbpmpl में ज्वाइनिंग दिए लगभग 04 वर्ष बीत चुके है इसके बावजूद भी सदस्यों को आज भी सेमी स्किल्ड कैटेगरी में रखा गया है 10 वर्ष बीत चुके है यह कृत्य न केवल पुनर्वास नीति बल्कि श्रम कानूनों का भी घोर उल्लंघन है।
श्रीमती प्रजापति ने बताया कि उनके पति ने 01 सितंबर 2014 से कंपनी में कार्य प्रारंभ किया था, और 22 जनवरी 2022 को उनका निधन हो गया।
उन्होंने मांग की है कि कंपनी उनके पति व अन्य 56 आईटीआई के सदस्यों को स्किल्ड कैटेगरी में नियुक्त न करने और अनुबंध की अवहेलना के कारण हुई आर्थिक क्षति का पूरा भुगतान करे।
उन्होंने कंपनी प्रबंधन को 20 अक्टूबर 2025 तक का समय देते हुए कहा है कि यदि इस अवधि में बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो वे 21 अक्टूबर 2025 को श्रम न्यायालय (Labour Court) में प्रकरण दायर करेंगी।
श्रीमती प्रजापति ने यह भी कहा कि कंपनी द्वारा कर्मचारियों/श्रमिको को दबाने और डराने की नीति अपनाई जा रही है। जब कोई सदस्य अपने अधिकार की मांग करता है, तो उसे “कंपनी विरोधी गतिविधि” का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया जाता है। और गेट में सिक्योरिटी गार्ड को निर्देशित कर सदस्यों को ड्यूटी में जाने से रोक लगा दिया जाता है। बिना कोई पत्र जारी किए और माफीनामा लिख के देने की दबाव बनाई जा कर सदस्यों को परेशान कर उनका शोषण किया जाता है। और कोई पत्र देने के लिए गेट में जाओ तो पत्र को भी स्वीकार नहीं किया जाता, यहां तक कि अगर डाक सेवा के माध्यम से भी पत्र भेजा जाता है तो पत्र/डाक को लेने से मना कर वापस कर दिया जाता है अभी हाल ही में मेरे पड़ोस के एक प्रभावित परिवार के सदस्य द्वारा कुछ पत्र भेजा गया था जिसे प्रबंधन ने साफ लेने से इनकार करते हुए डाक को वापस करवा दिया।
यह मामला अब राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है और स्थानीय जनता सहित प्रभावित परिवारों में आक्रोश व्याप्त है।
लोगों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन को अब “सोई हुई मुद्रा” से जागना चाहिए और की जा रही चापलूसी पर काबू करते हुए सभी प्रभावित परिवारों को उनका हक और बकाया भुगतान तत्काल करना चाहिए।
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श्रीमति रामकली प्रजापति ने अन्य 56 आईटीआई के सदस्यों से अपील की है कि वे सभी भी अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए आगे आए और अपनी अहम भूमिका निभाए जिससे उनके अधिकार से कंपनी प्रबंधन भविष्य में वंचित न कर सके जो अभी नीति अपना रखा है।


