विश्रव जल दिवस उद्देश्य एवं जागरुकता

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विश्व जल दिवस उद्देश्य एवं जागरुकता

विश्व जल दिवस हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है | विश्व जल दिवस 1993 से मनाया जा रहा है,इसका उद्देश्य है कि आम लोगों को पानी के महत्व और इसकी कमी से निपटने के लिए प्रोत्साहित करना है |

विश्व जल दिवस मनाने की वजह : –
जल एक मूलभूत संसाधन है जिससे जीवन संभव है | पानी की कमी, प्रदूषण और अत्यधिक दोहन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है | दुनिया भर में कई देशों के पास सुरक्षित पेयजल की कमी है |

विश्व जल दिवस के बारे में ज़्यादा जानकारी :-
हर साल संयुक्त राष्ट्र इस दिन या इसके आस-पास अपनी विश्व जल विकास रिपोर्ट जारी करता है |

हर साल एक अलग थीम होती है :-
साल 2022 में विश्व जल दिवस की थीम थी – “भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना” |
साल 2024 में विश्व जल दिवस की थीम थी – “शांति के लिए जल का उपयोग” |
साल 2025 मे विश्व जल दिवस की थीम है –

इस दिन को मनाने का मकसद पानी की बर्बादी को रोकने और लोगों मे जागरूकता तथा जल का महत्व समझाना भी है | जिम्मेदार जल प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना भी है |

जल के विभिन्न स्रोत –
जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन है। यह विभिन्न प्राकृतिक और कृत्रिम स्रोतों से प्राप्त होता है। जल के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं :

पृष्ठीय जल :-
प्राकृतिक स्रोत वे होते हैं जो प्रकृति द्वारा स्वतः निर्मित होते हैं और जिनका उपयोग मनुष्य प्राचीन काल से करता आ रहा है।

(1) वर्षा (Rainfall) – वर्षा जल का सबसे प्रमुख प्राकृतिक स्रोत है। जब सूर्य की गर्मी के कारण जल वाष्पित होता है और बादलों के रूप में संघनित होता है, तब यह बारिश के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। वर्षा जल को एकत्रित कर जलाशयों, तालाबों और नदियों में संग्रहित किया जाता है।
(2) नदियाँ (Rivers) – नदियाँ पर्वतों या ऊँचाई वाले क्षेत्रों से निकलती हैं और मैदानों में बहती हुई समुद्र, झीलों या अन्य जल निकायों में मिल जाती हैं। ये सतही जल का प्रमुख स्रोत हैं और कृषि, पेयजल, बिजली उत्पादन तथा उद्योगों के लिए उपयोग की जाती हैं।
(3) झीलें (Lakes) – झीलें स्थिर जल निकाय होती हैं जो प्राकृतिक रूप से बनती हैं। इनमें बारिश का पानी, नदी से आया पानी या भूजल संचित हो सकता है। झीलें कई जीव-जंतुओं के लिए आवास होती हैं और जल संग्रहण का महत्वपूर्ण स्रोत होती हैं।
(4) हिमखंड और ग्लेशियर (Glaciers) – हिमखंड और ग्लेशियर बर्फ के विशाल भंडार होते हैं, जो धीरे-धीरे पिघलकर नदियों को जल प्रदान करते हैं। ये मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं और जल की दीर्घकालिक आपूर्ति में सहायक होते हैं |

(5) जलाशय और बांध (Reservoirs and Dams) – बांध नदियों के जल को रोककर जलाशयों में संग्रहित करने के लिए बनाए जाते हैं। इनसे सिंचाई, बिजली उत्पादन और जल आपूर्ति में सहायता मिलती है।

भूमिगत जल स्रोत (Groundwater)

भूमिगत जल धरती के अंदर विभिन्न स्तरों में संचित रहता है। इसे कुओं, हैंडपंप और बोरवेल के माध्यम से निकाला जाता है। यह जल स्रोत लंबे समय तक जल आपूर्ति बनाए रखने में मदद करता है। मानव ने बढ़ती जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई कृत्रिम जल स्रोत विकसित किए हैं।

(1) कुएँ और बोरवेल (Wells and Borewells) – कुएँ और बोरवेल का उपयोग भूमिगत जल को निकालने के लिए किया जाता है। पारंपरिक कुएँ उथले होते हैं, जबकि बोरवेल गहरे होते हैं और मोटर पंप की सहायता से जल निकाला जाता है।

जल शोधन संयंत्र (Water Purification Plants) – जल शोधन संयंत्रों में जल को शुद्ध करने की प्रक्रिया की जाती है, जिससे उसे पीने योग्य बनाया जाता है। यह संयंत्र नदी, झील या भूमिगत जल से अशुद्धियाँ हटाकर स्वच्छ पानी उपलब्ध कराते हैं।

जल संकट और इसके प्रमुख कारण –
जल संकट एक वैश्विक समस्या बन चुका है और इसके पीछे कई कारण हैं |

(1) जल प्रदूषण – नदियों, झीलों और समुद्रों में कचरा, रसायन और औद्योगिक अपशिष्ट डालने से जल दूषित हो रहा है।
(2) अत्यधिक जल दोहन – बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण जल की खपत अत्यधिक बढ़ गई है।
(3) वर्षा की कमी – जलवायु परिवर्तन के कारण कई क्षेत्रों में सूखा और वर्षा असंतुलन की समस्या बढ़ रही है।
(4) वनों की कटाई – जंगल जलचक्र (Water Cycle) को बनाए रखने में मदद करते हैं, लेकिन वनों के विनाश से जल स्रोतों पर प्रभाव पड़ रहा है।
(5) जल संरक्षण की कमी – लोगों में जल संरक्षण की आदतों की कमी के कारण जल बर्बादी बढ़ रही है।

जल संरक्षण के उपाय :-
जल संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं जिससे आसपास के जीव जंतुओं के पर्याप्त पानी की पूर्ति हो सके |

(1) जल संचयन (Rainwater Harvesting) : – वर्षा के पानी को संग्रहित करके जल स्तर को बनाए रखा जा सकता है।
(2) बूँद-बूँद सिंचाई (Drip Irrigation) :- फसलों की सिंचाई में पानी की बर्बादी रोकने के लिए यह तकनीक अपनाई जानी चाहिए।
(3) गंदे पानी का पुनर्चक्रण (Water Recycling):- घरेलू और औद्योगिक स्तर पर पानी को पुनः शुद्ध करके दोबारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
(4) कम पानी वाले उपकरणों का उपयोग:- कम पानी की खपत करने वाले टॉयलेट, शावर, और वॉशिंग मशीन का उपयोग किया जाना चाहिए।
(5) औद्योगिक जल शोधन: कारखानों से निकलने वाले जल को बिना शुद्ध किए जल स्रोतों में नहीं डालना चाहिए।
(6) जनजागरण अभियान: स्कूलों और समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।

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