सुविचार:-स्वामी विवेकानन्द के विचार ऊर्जा से भर देंगे

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महापुरुषों के विचारों से ही उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू झलकते हैं।

सुविचार:-स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) विश्व की उन महान विभूतियों में से एक हैं जिन्होंने भारत में जन्म लिया और अपने ओजस्वी विचारों से पूरे विश्व में भारत माता का मान बढ़ाया था, स्वामी विवेकानंद अपनी एकाग्रता, बुद्धिमता व अपनी याददाश्त की क्षमता के लिए भी जाने जाते हैं उनके समान इस प्रकार असाधारण शक्तियों वाला मनुष्य शायद ही धरती में जन्मा हो या भविष्य में हो, कहते हैं उन्हें ये शक्तियां उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से प्राप्त हुई थी. युवावर्ग के लिए स्वामी विवेकानंद हमेशा से प्रेरणास्त्रोत रहें हैं. सही मायनों में वे एक आदर्श सनातनी विद्वान, आध्यात्मिक गुरु तथा समाज सुधारक थे जिन्हे सनातन धर्म के सही अर्थ की समझ थी उन्होंने कभी भी आधुनिकता का विरोध नहीं किया बल्कि हमेशा से कुरीतियों व अंधविश्वासों के खिलाफ रहें हैं जिस कारण से भी हमेशा से वे युवाओं के पसंदीदा रहें हैं. स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचार हमेशा से युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत रहें, 4 जुलाई स्वामी स्वामी विवेकानंद स्मृति दिवस मनाया जाता है. इस दिवस पर आइये जानते हैं स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचार;

स्वामी विवेकानंद हिंदी में उद्धरण:

1. विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत करने आते हैं।


2. दिल और दिमाग के टकराव में हमेशा दिल की सुनो।

3. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।


4. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

3. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है। 

4. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। 

5. जैसा तुम सोचते हो वैसे ही तुम बन जाओगे। खुद को निर्बल मोनोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे.


6. जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है- शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक उसे जहर की तरह त्याग दो.

7. हम जो बोते हैं वो काटते हैं, हम स्वयं के भाग्य निर्माता हैं.


8. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय उसमे अपनी पूरी आत्मा दाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.

9. दिन में खुद से एक बार जरूर बात करो, अन्यथा तुम सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति से बात करने का मौका खो दोगे.


10. पढ़ने के लिए जरुरी है एकाग्रता, और एकाग्रता के लिए जरुरी है ध्यान, ध्यान से ही हम इन्द्रियों को संयम में रखकर एकाग्रता हासिल कर सकते हैं.

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