रोजगार और पुनर्वास समेत 10 सूत्रीय मांग को लेकर किसान सभा ने की कार्यालय घेराव की घोषणा
कोरबा (विनोद साहू की रिपोर्ट)-: छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने विगत चार वर्षों से बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण,मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने,पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने के साथ 10 सूत्रीय मांगो को लेकर 6 अक्टूबर को कुसमुंडा में कार्यालय घेराव की घोषणा की है।आंदोलन को सफल बनाने की तैयारी को लेकर प्रभावित भू विस्थापितों की बैठक में आंदोलन को सफल बनाने की योजना बनाई गई।
23 सितंबर को कुसमुंडा घेराव से पहले बैठक कर प्रबंधन ने त्रिपक्षीय वार्ता के साथ उच्च स्तरीय बैठक का आश्वासन दिया था लेकिन प्रबंधन ने भू विस्थापितों को किए गए वायदों को पूरा नहीं किया। इससे भू विस्थापितों में प्रबंधन के खिलाफ काफी आक्रोश है।
भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव,दामोदर श्याम,रघु यादव किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर,जय कौशिक, दीपक साहू, सुमेंद्र सिंह ने आंदोलन को सफल बनाने की अपील सभी भू विस्थापितों से की है।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि कोयला उत्खनन के लिए 40 साल पहले किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था और आज भी हजारों भूविस्थापित किसान अपने जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसान सभा भूविस्थापितों के बर्बादी के खिलाफ भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है। किसान सभा के नेता प्रशांत ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन नियमों को ताक में रखकर एसईसीएल का साथ दे रही है पूरे जिले में जिला प्रशासन का रवैया तानाशाही पूर्ण और भू विस्थापित विरोधी है इसलिए भू विस्थापितों को एकजुट होकर भू विस्थापित विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन करना होगा।
भू विस्थापित नेताओं ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और जिला प्रशासन के साथ मिलकर भू विस्थापितों के साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए किसान सभा और भू विस्थापित संगठनों को मिलकर संघर्ष तेज करना होगा, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ आर पार की लड़ाई लड़ी जा सके। 6 अक्टूबर को कुसमुंडा में अनिश्चित कालीन घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन किया जाएगा।


