Is The Most Powerful Man Of World Heading Towards His End -यूक्रेन के साथ जंग खत्‍म करने के लिए क्‍या रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन ने निकाली हैं तीन तरकीबें, जानिए क्‍या

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मॉस्‍को: रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन कभी दुनिया के सबसे ताकतवर शख्‍स थे। यूक्रेन की जंग के बाद उनकी छवि बदल चुकी है। पुतिन ने एक बार कहा था, ‘कभी-कभी खुद को सही साबित करने के लिए अकेला होना बहुत जरूरी है।’ अब लगता है कि पुतिन वाकई अकेले पड़ चुके हैं। न केवल अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर बल्कि रूस में भी अब उनका जनाधार कमजोर होता जा रहा है। विशेषज्ञ इस बात को तय मानने लगे हैं कि अगर युद्ध लंबा खिंचा तो फिर उनकी विश्‍वसनीयता पर सवाल उठने लगेंगे। न केवल विदेश में बल्कि घर में भी उन पर उंगलियां उठाई जाने लगेंगी। प्रश्‍न यही है कि यूक्रेन की जंग के बाद पुतिन का अगला रास्‍ता क्‍या होगा और क्‍या उन्‍होंने इसे खत्‍म करने का मन बना लिया है?

मुश्किल में है रूस
हाल ही में संयुक्‍त राष्‍ट्र की आम महासभा में रूस की तरफ से यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्‍जे की निंदा को लेकर वोटिंग हुई। इसमें 143 सदस्‍यों ने प्रस्‍ताव के पक्ष में वोट किया, 35 नदारद रहे और पांच इसके खिलाफ थे। यानी पुतिन को जबरदस्‍त निंदा का सामना करना पड़ा। रूस के सिर्फ चार ही दोस्‍त बचे हैं उत्‍तर कोरिया, सीरिया, बेलारूस और निकारागुआ।

30 सितंबर को पुतिन ने एक भाषण दिया और यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्‍जे का ऐलान किया। जो सदस्‍य देश वोटिंग से गायब थे उनमें भारत और चीन भी थे। दोनों ही देशों ने सार्वजनिक तौर पर युद्ध पर अपनी बेचैनी जाहिर कर दी है। मीडिल ईस्‍ट में रूस अपने राजनयिक रिश्‍तों को मजबूत करने की कोशिशें कर रहा है। मगर यहां पर कतर और कुवैत ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन की सीमा का सम्‍मान करना ही होगा।

देश में घिरे राष्‍ट्रपति
अगर रूस की बात करें तो यहां पर भी पुतिन के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में टॉप मिलिट्री लीडरशिप ने रक्षा मंत्री सेर्गेई शोइगू और चीफ ऑफ जनरल पर निशाना साधा है। शोइगू, रूस में पुतिन के बाद सबसे ताकतवर नेता है। अगर पुतिन उन्‍हें हटाते हैं तो फिर उनका एक प्रतिद्वंदी कम हो जाएगा। साथ ही यह फैसला कुछ लोगों को निराश भी कर सकता है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक सात लाख रूसी नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं।

कैसे मिलेगा सम्‍मान
पुतिन अगर अपनी साख बचाकर रखना चाहते हैं और अपने नागरिकों का सम्‍मान हासिल करना चाहते हैं तो फिर उन्‍हें हर हाल में यूक्रेन में जीत हासिल करनी होगी। मगर रूस की जीत मुश्किल लगने लगी है। परमाणु हथियारों का जिक्र करके खुद पुतिन ने इशारा कर दिया है कि युद्ध लंबा खिंचेगा। पुतिन ने यह भी स्‍पष्‍ट कर दिया है कि जंग सिर्फ यूक्रेन के साथ ही नहीं बल्कि नाटो के साथ भी है। क्रीमिया को मॉस्‍को से जोड़ने वाले केरेच के पुल पर हुए ब्‍लास्‍ट को पुतिन की बेइज्‍जती माना गया था। पुतिन ने खुद इसका निर्माण देखा था।

पुतिन की तरकीबें
पुल पर ब्‍लास्‍ट यूक्रेन की तरफ से युद्ध को लेकर दिया गया बड़ा संकेत था। लेकिन हाल ही में तीन ऐसी बाते हुई हैं जो यह बताने के लिए काफी हैं कि पुतिन इस जंग को खत्‍म कर सकते हैं। तुर्की के राजनयिकों ने पुतिन की उस इच्‍छा के बारे में बताया है जो यूरोप के साथ बड़ा मोलभाव करने से जुड़ी है। पिछले दिनों एलन मस्‍क ने भी ट्वीट किया था जो यूक्रेन के लिए शांति प्रस्‍ताव से जुड़ा था। इसके अलावा रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी कहा था कि इंडोनेशिया में होने वाले जी-20 सम्‍मेलन में पुतिन अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ शांति वार्ता कर सकते हैं।

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