अनूपपुर/शुभ संकेत: कठिन समय में भी संघर्ष की मशाल जलाये रखने के संकल्प के साथ अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति अनूपपुर का जिला सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का उदघाटन और मार्गदर्शन राज्य अध्यक्ष नीना शर्मा ने किया। झण्डा रोहण के बाद शुरू हुये, सम्मेलन का संचालन करते हुये सुमित्रा सिंह गौंड ने सम्मेलन का महत्व रखा और अध्यक्षता के लिए पार्वती राठौर, क्रांति बाई, अफसाना बेगम को मंच पर आमंत्रित किया। शोक प्रस्ताव रखते हुये अफसाना बेगम ने अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गये लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये सरकारी लाहपरवाही पर रोष व्यक्त किया। तथा गाजा में इजराईली हमले में मारे गये बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों की मौत पर भी सम्मेलन ने संवेदना व्यक्त की तथा
भारतीय सरकार के इजराइल के प्रति झुकाव को गंभीर माना।
प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी डॉ जयंत नार्लीकर, जबलपुर की एडवा नेत्री पूर्व राज्य कमेटी सदस्य राधा गोटिया के निधन पर भी शोक व्यक्त करते हुये परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
इस सम्मेलन में 19 गांव, तहसील, शहर की करीब 70 महिलाओं ने भागीदारी की। सचिव की अनुपस्थिति में संगठन के काम की रिपोर्ट पार्वती राठौर ने रखते हुये कहा कि मायक्रोफाईनेंस कम्पनियों की लूट, रोजगार गारंटी कानून में मजदूरी भुगतान में देरी, भ्रष्टाचार, राशन में कम तौल, बिजली, पानी के संकट, आदिवासियों के वन भूमि के पट्टे, आजीविका के सवाल पर संयुक्त रूप से आंदोलन में एडवा की भागीदारी रही है। पर अकेले गतिविधियों को करने में पीछे रही रही है,
आगामी समय में इस कमी को दूर करने की जरूरत है।
संगठन की सदस्यता पर बोलते हुये उन्होंने कहा कि अपनी कमियोँ को दूर करते हुये, हमें बडे लक्ष्य की तरफ बढना जरूरी है। नये लोग संगठन से जुडते हैं पर आगे तक नहीं चल पात, इस कमी को दूर करने के लिये वैचारिक काम पर ध्यान देना होगा।
सम्मेलन को राज्य अध्यक्ष श्रीमती नीना शर्मा ने संबोधित करते हुये कहा कि भाजपा सरकार के गठन के बाद से ही
सामाजिक, आर्थिक असमानता की खाई को लगातार चौडा किया जा रहा है। संसद में ताकतवर लोगों के पक्ष में बिल पास होने के कारण, अधिकांश जनता गरीबी में जीने को मजबूर है, गरीबी का असर सबसे ज्यादा महिलाओ और बच्चों पर ही पडता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ महिलाओं पर दमन उत्पीड़न बढता जा रहा है, दूसरी तरफ महिलाओं द्वारा की गयी कुछ आपराधिक घटनाओं को आधार बना कर सभी महिलाओ को और नियंत्रित किये जाने का सोशल मीडिया में अभियान चलाया जा रहा है। लम्बे संघर्षो की बदौलत महिलाओं के पक्ष में बने कानूनों को भी कमजोर बनाने व खत्म करने की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि औरतों की बराबरी के बगैर कोई भी समाज तरक्की नहीं कर सकता और न ही कोई आंदोलन मजबूत हो सकता है। जातिवादी मानसिकता का आलम यह है कि आज जिस हस्ती ने औरतों की बराबरी के लिये काम किय, संविधान में प्रावधान रखे, उस व्यक्ति की अदालत में मूर्ति लगने का ही विरोध किया जा रहा है। ऐसे लोग मजबूत दलित आदिवासी महिला मुस्लिम किसी को बर्दास्त नहीं कर सकते। संविधान के साथ पूरी तरह खिलवाड़ किया जा रहा है।
हम देखते हैं सरकार जरूरी विकास के काम करने की बजाये भव्य काम करने का दिखावा कर रही है, इस काम मे करोडो का कमीशन खाया जा रहा है। औरतो में खून की कमी बच्चों में कुपोषण बुजुर्गों के खस्ता हाल और अस्पतालों की दुर्दशा के लिए कोई कदम नहीं उठाये जा रहे। जल जंगल जमीन से आदिवासियों की बेदखली के कदम उठाये जा रहे हैं, उन इलाकों में जन सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है। अब अच्छे सीएम राईज स्कूल का सपना दिखा कर सरकारी स्कूलों को भी बंद किया जा रहा है। जाती प्रमाण पत्र में मुश्किल खडी कर छात्रवृति को भी रोक दिया गया है। आगामी समय में हमें अपनी जड़ता को तोड़कर बडी संख्या में औरतों को संगठन से जोडने की पहल करनी होगी तभी हम जनसमस्याओं को लेकर संघर्ष के मैदान में उतर सकते हैं। सम्मेलन में 24 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया जिसमें 10 पदाधिकारियों का चुनाव किया गया। अध्यक्ष पार्वती राठौर सचिव सुमित्रा गौड चुनी गयीं, सह सचिव आरती सिंह गौड, रानी राठौर, संगीता धुर्वे, उपाध्यक्ष चंदा राठौर, ललिता सिंह, चमेली सिंह चुनी गयीं।
सम्मेलन को सीटू नेता रामू यादव, इंद्रपति सिंह, कोयला श्रमिक संघ के नेता देवेंद्र निराला, संयुक्त ठेका मजदूर यूनियन के जुगल राठौर, किसान सभा के नेता रमेश राठौर,आदिवासी एकता महासभा के नेता रमेश परस्ते, तिरसू सिंह गौड, आंगनबाड़ी यूनियन की नेता अफसाना बेगम ने शुभकामनायें दी। सम्मेलन के अंत में सभी ने गीत “मैं तुमको विश्वास दूं तुम मुझको विश्वास दो” गाकर विश्वास जगाया और दुनियां को खुशहाल बनाने के लिए काम करने का संकल्प लिया। अंत में अध्यक्ष पार्वती राठौर ने सभी को धन्यवाद देते हुये समापन की घोषणा की।
अनूपपुर से संपादकीय सलाहकार नत्थूलाल राठौर…✍️