कोरबा/शुभ संकेत: हिंदी मासानुसार फाल्गुन माह का आरंभ 13 फरवरी 2025 गुरुवार से हो गया है, जो 14 मार्च 2025 शुक्रवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है, जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है, यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी फाल्गुन माह का आरम्भ 13 फरवरी 2025 गुरुवार से हो गया है, जो 14 मार्च 2025 शुक्रवार तक रहेगा।

इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। फाल्गुन माह में वातावरण साफ हो जाता है। आसमान साफ-सुथरा दिखता है। प्रकृति में हर तरफ हरियाली होती है। वातावरण ठंडा और शांत हो जाता है। फागुन में धरती पर बहुत ज्यादा फूल खिलते हैं। पेड़ों पर नए फूल-पत्ते उगते हैं। पक्षी समूह आकाश में उड़ते दिखाई देते हैं। फाल्गुन आते ही फाल्गुनी हवा मौसम के बदलने का एहसास करा देती है। कपकपाती ठंड से राहत मिलने लगती है। प्राणियों का मन उत्साह एवं उल्लास से भर जाता है। फागुन के महीने में धीरे-धीरे गर्मी की शुरुआत हो जाती है और सर्दी कम होने लगती है। इस माह में कफज रोग बुखार, सर्दी, खांसी एवं त्वचा संबंधी रोग खाज, खुजली आदि रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इसलिये कफवर्धक आहार-विहार जैसे दिन में सोना एवं कच्चे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिये। इस माह में पका हुआ भोजन ही श्रेष्ठ होता है। फाल्गुन माह में चने का सेवन नहीं करना चाहिये, इसके सेवन करने से व्यक्ति बीमार तो पड़ ही सकता है, साथ ही काल का ग्रास भी बन सकता है। फाल्गुन माह में रात्रि में भोजन के समय अनाज का प्रयोग कम से कम करें। मौसमी फलों एवं सब्जियों का सेवन करें। फाल्गुन के माह में प्रातः जल्दी उठकर सूर्योदय के साथ स्नान करना श्रेयस्कर है। इससे शरीर के तापमान में संतुलन बना रहता है। फाल्गुन माह में प्रतिदिन 4-5 नीम के कोमल पत्तियों का सेवन करना चाहिये, इससे शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में मदद मिलती है। साथ ही वर्षभर त्वचा संबंधी रोगों से सुरक्षा होती है। फाल्गुन माह में पाचन शक्ति माघ माह से अपेक्षाकृत कम हो जाती है, अतः इस माह में पचने में भारी पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिये।
आहार में क्या खाना चाहिए- अनाजों में- जौ, चांवल, बाजरा, ज्वार, मक्का, तुअर दाल, मूंग दाल आदि। मौसमी फलों में- पपीता, केला, आँवला, अंगूर आदि।सब्जियों में- गाजर, चुकंदर, बैंगन, गोभी, टमाटर, अदरक, सहजन की फली, पालक, बथुआ आदि। मसालों में- हल्दी, काली मिर्च, सौंफ, दालचीनी, मीठा नीम, सूखा धनिया, जीरा आदि।
आहार में क्या नहीं खाना चाहिये- अनाज में- चना, मोंठ दाल, उड़द दाल। सब्जियों में- मूली, ककड़ी, अरबी। फलों में- तरबूज, खरबुज, इमली, दही, खमीर वाली चीजों का सेवन कम से कम ही करना चाहिए।
जीवनशैली- क्या करें- रात्रि में जल्दी सोने एवं प्रातः जल्दी उठकर सूर्योदय के साथ स्नान करना चाहिये। इससे शरीर के तापमान में संतुलन बना रहता है। यथाशक्ति शारीरिक व्यायाम करना चाहिये।
क्या न करें- आलस्य में पड़े रहने से, श्रम और व्यायाम न करने से, अधपके एवं कच्चे अन्न के सेवन से, दिन में शयन करने से, रात्रि जागरण करने से बचाव करना चाहिये।