*एस आई आर गरीबों से मताधिकार छीनने, लोकतंत्र को क्षीण करने का संविधान विरोधी कदम : वामदल*
भोपाल I बिहार के बाद मध्यप्रदेश सहित 12 राज्यों में शुरू की जा रही विवादित एस आई आर गरीबो , आदिवासियों , दलितों , महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मताधिकार से वंचित करने और भारत की जनता के लोकतान्त्रिक अधिकार को क्षीण करने संघ के अजेंडे को आगे बढ़ाने की साजिश का हिस्सा है।
चुनाव आयोग ऐसा करके न केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है , बल्कि संविधान विरोधी काम भी कर रहा है।
बिहार में हुई एस आई आर से साफ हो गया है कि एस आई आर की प्रक्रिया ने नए मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ने की बजाय 50 लाख से ज्यादा मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर दिया है। इस प्रक्रिया के बाद बिहार में दस लाख महिला मतदाता कम हुई हैं। यह इतिहास में पहली बार है जब जनसँख्या में महिलाओ की बढ़ने , बिहार में लिंगानुपात में आंशिक सुधार होने के बाद भी महिला मतदाताओं की संख्या घटी है।
चुनाव आयोग ने दावा किया था कि वह इस प्रक्रिया को घुसपैठियों को मतदाता सूची से बाहर करने के लिए कर रहा है। मगर अपनी पत्रकार वार्ता में मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह नहीं बता पाए कि बिहार में कितने घुसपैठिये पाए गए हैं और उनका क्या हुआ है।
वामपंथी दल मानते हैं कि नागरिकता निर्धारण करना चुनाव आयोग का काम नहीं है , उसका काम तो वयस्क और पात्र नागरिकों को मताधिकार प्रदान करना है। जो बिहार में हुआ है वही मध्यप्रदेश के आदिवासियों , दलितों , महिलाओं, अल्पसंख्यकों और गरीबों के साथ होने जा रहा है।
इस बारे में वामपंथी दलों ने 6 नवंबर को दोपहर एक बजे से सभी गैर भाजपाई दलों की बैठक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय 13 बी पदमनाभ नगर में आमंत्रित की है।
आज की बैठक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह , सीपीआई के राज्य सचिव शैलेन्द्र कुमार शैली के अलावा माकपा के बादल सरोज और प्रमोद प्रधान तथा सीपीआई के ऐ एच सिद्दीकी और अजय राऊत उपस्थित थे।


