
भोपाल | केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र मे दो दिन तक खाद के लिए लाइन में लगने के बाद खाली हाथ लौटने पर आदिवासी महिला भूरी बाई द्वारा रात मे ही खाद वितरण केंद्र पर डेरा जमा लेने पर ठंड से हुई उसकी मौत के लिए प्रशासन ही नहीं, भाजपा की मोहन यादव सरकार का किसान और आदिवासी विरोधी चरित्र भी जिम्मेदार है I इस घटना से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा कालाबाजारियो और लुटेरों की सगी है, किसानों और आदिवासियों की नहीं |
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा है कि बेशर्मी की हद तो यह है कि जब एक आदिवासी महिला की खाद प्राप्त करने की कोशिश में मौत हो जाती है तो तब भी प्रशासन और भाजपा सरकार प्रदेश में पर्याप्त खाद होने का दावा कर रही है l खाद के लिए लम्बी लम्बी लाईनें केवल गुना जिले के बागोरी खाद वितरण केंद्र पर ही नहीं हैं, प्रदेश भर में किसान खाद के लिए वितरण केंद्रों पर धक्के खा रहे हैं l मगर सरकार और प्रसारण की उदासीनता से लगता है कि मोहन यादव सरकार की प्राथमिकता कुछ और है I
जसविंदर सिंह ने कहा है कि भूरी बाई के ठंड की ठिठुरन से बीमार पड़ने पर उचित उपचार न मिलना तो जांच का विषय है, लेकिन मौत के बाद भूरी बाई का पोस्टमार्टम न करवाना यह साबित करता है कि प्रशासन इस मौत को ही छुपाना या लीपापोती करना चाहता है I इससे भी दुखद बात यह है कि मौत के बाद प्रशासन मृतका के परिजनों को वाहन तक की व्यवस्था नहीं करवा पाया | यह घटना शर्मसार करने वाली तो है ही, भाजपा के किसान और आदिवासी विरोधी आचरण को भी उजागर करती है I
माकपा नेता ने कहा है कि यदि हाई प्रोफाइल मंत्री के संसदीय क्षेत्र की यह स्थिति है, प्रदेश भर खाद के संकट, कालाबाजारी और प्रशासन के आदिवासी व किसान विरोधी रुख को आसानी से समझा जा सकता है l
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भूरी बाई के परिजनों को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने और खाद के संकट को हल करने के ठोस उपाय करने की मांग की है I
भूरी बाई की मौत: भाजपा सरकार का किसान और आदिवासी विरोधी चेहरा बेनकाब: माकपा
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