कोरबा वनमंडल में एसडीओ एव रेंजरों के सेटिंग से चल रहा है पेड़ो की कटाई का कार्य उचित जांच एव कार्यवाही की मांग
कोरबा -: युवा कांग्रेस जिला कोरबा द्वारा युवा कांग्रेस जिला महासचिव मधुसूदन दास के नेतृत्व में कोरबा डीएफओ से कोरबा वन मंडल के बालको,पसरखेत, एव कोरबा रेंज के जंगल में हो रहे लकड़ी तस्करी एव बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाने एवं पेड़ ले जाए जाने के मामले की वन अमले को भनक तक नहीं लग रही। जब तक पता चलता है,पेड़ बिक चुके होते हैं या उनका स्वरूप बदल चुका रहता है। युवा कांग्रेस द्वारा पत्र सौप कर बासीन में जब्त किए गए लकड़ी के मामले में जांच करके उचित कार्यवाही की मांग की गई है।युवा कांग्रेस जिला महासचिव मधुसूदन दास ने कहा की कोरबा वन मंडल के भी जंगलों की रक्षा करने का दावा भले ही एसडीओ और रेंजर,डिप्टी रेंजर करते हैं लेकिन हकीकत में इन्हें पता ही नहीं चल पाता है कि जंगल के भीतर क्या कुछ हो रहा है। हमारे द्वारा देखा गया है की बालको,कोरबा एव पसरखेत में जमकर लकड़ियों की तस्करी चल रही है। इनका मुखबिर तंत्र जहाँ इस मामले में फेल है वहीं वन सुरक्षा के मामले में स्थानीय ग्रामीणों, सुरक्षा समिति के लोगो से बेहतर तालमेल का अभाव भी बना हुआ है। जलाऊ लकड़ी पकड़ने पर वसूली, विभिन्न निर्माण कार्यों में नियोजित करने के बाद महीनों/वर्षों से मजदूरी का भुगतान नहीं करने की प्रवृत्ति व और भी व्यवहार एवं व्यक्तिगत कारण जिम्मेदार हैं कि वन महकमा जंगल की सुरक्षा के मामले में स्थानीय लोगों के बीच अपनी पैठ नहीं बना पा रहा है।
रेंजरों के संरक्षण मे जंगलों से इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई के मामलों में कुछ वन कर्मियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। सूत्र यह भी बताते हैं कि कुछ ऐसे रेंजर हैं जो अपने चहेतों के लिए खुद ही इमारती महत्व के वृक्षों की कटाई करवा कर उनका सिलपट बनाकर उनके स्थल तक पहुंचाने का भी काम करते हैं। जब महकमा ही संपत्ति लुटवाने में जुटा रहेगा तो चोरों के हौसले बुलंद रहेंगे ही। यह और बात है कि कभी-कभार अपनी सक्रियता दिखाने के लिए थोड़ी बहुत कार्रवाई कर दी जाती है लेकिन इसके पहले और बाद में कटने के लिए जंगल खुला छोड़ दिया जाता है कोरबा वनमंडल में वृक्षों और जंगल की सुरक्षा में खामी का मामला सामने आया जब काटे गए वृक्षों को चिरान बना लिया गया। ग्राम बासीन के तीन ग्रामीणों द्वारा साल प्रजाति के वृक्षों की अवैध कटाई की गई। उन्हें चिरान बनाकर घरों में छुपा कर रखा गया था। पेड़ो के कटाई से लेकर चिरान बनाते तक खबर नही हुए कुल मिलाकर इस मामले में कही न कही अधिकारियों की मिलीभगत है हम निष्पक्ष जांच की मांग करते है।
