श्री श्री 108 श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर साडा कोरबा का 41 वर्षों का प्राचीन व चमत्कारिक इतिहास

Date:

Share post:

कोरबा/शुभ संकेत: जहां होता है अद्भुत शांति का एहसास
कोरबा के उस पवित्र स्थान के प्रति लोगों के मन में अटूट श्रद्धा व विश्वास है। वहां प्रभु की आराधना के साथ ऐसी गतिविधियां भी समय-समय पर आयोजित होती है, जो लोगों के मन में भक्ति भाव पैदा करती है। धार्मिक आयोजन के माध्यम से लोगों में एकता का सूत्रपात होता है। हम बात कर रहें हैं,
शहर के साडा कालोनी कोरबा में स्थित श्री श्री 108 श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर की जहां पहुंचते ही शहरवासियों को अदभुत शांति व तृप्ति का एहसास होता है। सन् 1984 में महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग और बजरंगबली जी की मूर्ति विराजित की गई, उस समय साडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अमरजीत सिंह गहरवार की सोच को मूर्त रूप देने में आर.पी. तिवारी, अशोक शर्मा एवं साडा के अन्य अधिकारियों ने विशेष योगदान दिया। शहर के प्रबुद्ध जनों ने भी मंदिर निर्माण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

मंदिर के पूर्व पुजारी श्री प्रहलाद पुरी गोस्वामी जी ने बताया कि प्रारंभ में साडा कालोनी के आसपास कोई मंदिर नहीं था, लोगों को सीतामढ़ी पूजा अर्चना करने जाना पड़ता था, तब लोगों ने सामूहिक रूप से यहां मंदिर बनाने की योजना बनाई। शुरूवाती दौर में यह क्षेत्र अविकसित था, उस समय एमआईजी और ईजीएस को मिलाकर मात्र पचास घर थे। अब तो महाराणा प्रताप नगर, राजेन्द्र प्रसाद नगर, शिवाजी नगर, रविशंकर नगर, विद्युत मंडल कालोनी एवं आसपास के आवासीय परिसर में हजारों घर बन गये हैं। महाशिवरात्रि, नवरात्र, रामनवमी, जन्माष्टमी, अक्षय तृतीया एवं अन्य अवसरों में यहां विशेष आयोजन होता है। जब से मंदिर का निर्माण हुआ है तब से दोनों नवरात्रि शारदीय और चैत्र नवरात्रि में ज्योति कलश प्रज्वलित किया जाता है। कार्तिक मास के आंवला नवमीं में शहरी क्षेत्र के काफी लोग यहां के आंवला पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना कर भोजन करने आते हैं।

यहाँ विशेष अवसरों में हजारों की भीड़ रहती है, हर शनिवार को मंदिर के वर्तमान पुजारी श्री नागेश्वर पुरी गोस्वामी एवं आशुतोष पुरी गोस्वामी एक मास परायण रामायण पाठ करते हैं, एवं महिला मण्डली द्वारा हर सोमवार को शाम पाँच बजे से भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन से पांच दिवसीय लघु रूद्र यज्ञ शुरू होता है, जिसमें कलश यात्रा, ज्योति प्रज्ज्वलन, हवन, अंतिम दिन की रात्रि के चौथे पहर में विशेष रूद्राभिषेक होता है। लोग अपनी श्रद्धा के अनुरूप पूजा अर्चना करते हैं और प्रभु के चरणों में माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


कैसे हुआ मंदिर का नामकरण?                                      पूर्व में मंदिर को शिव मंदिर कहा जाता था, बाद में महामृत्युंजय मंदिर कहा जाने लगा। मंदिर के पूर्व पुजारी श्री प्रहलाद पुरी गोस्वामी जी ने बताया कि मंदिर बनाने के बाद जब विद्युतीकरण किया जा रहा था, तब बिजली के करेंट से लाईनमैन अचेत अवस्था में चला गया था, बाद में पूजा अर्चना की गई और उसे पानी पिलाया गया तो वह सकुशल बच गया, इसे भगवान का चमत्कार मानकर तब से मंदिर का नामकरण महामृत्युंजय मंदिर किया गया। मंदिर में प्रतिदिन प्रातः 8 से 9 बजे एवं शाम 7:30 से 8:30 बजे तक आरती होती है।

Related articles

अब 10 साल से बड़े बच्चे खुद चला सकेंगे अपना बैंक अकाउंट, RBI का नया निर्देश

शुभ संकेत/देश;-अब 10 साल से अधिक उम्र के बच्चे अपने बैंक अकाउंट को स्वतंत्र रूप से ऑपरेट कर...

छत्तीसगढ़ में तेज़ आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी, बिलासपुर समेत कई जिलों में अलर्ट जारी

शुभ संकेत/छत्तीसगढ़;-मौसम विभाग ने तेज़ आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। मौसम विज्ञान केंद्र रायपुर...

बिलासपुर;-इंस्टाग्राम में लाइव आकर नाबालिग युवक ने की आत्महत्या, सरकंडा क्षेत्र के कुटीपारा जंगल की घटना..

शुभ संकेत/ बिलासपुर;-बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र अंतर्गत चिल्हाटी जंगल में एक 17 वर्षीय कबड्डी खिलाड़ी का शव...

सीजीएमएससी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने में निभा रही अहम भूमिका: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में...
error: Content is protected !!