कोरबा:-छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में ग्रामीणों ने एक बार फिर एनटीपीसी मैनेजमेंट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अफसरों के लापरवाह रवैए के खिलाफ प्रभावितों ने जमकर नारेबाजी की।आरोप है कि एनटीपीसी के अधिकारी अंग्रेजों की तरह लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं।अंग्रेज तो चले गए मगर कोरबा में एनटीपीसी मैनेजमेंट का अंग्रेजी हुकूमत जारी है। प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते ये लोग लोतलोता, धनरास, घमोटा और चोरभट्टी के ग्रामीण हैं। सालों पहले इनकी खेतिहर जमीन को राखड बांध बनाने के लिए एनटीपीसी ने कब्ज़े में लिया था। सुविधा प्रदान करने का लालच देकर जमीन तो छीन ली लेकिन फिर इन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया। आरोप है कि एनटीपीसी के अधिकारी इनके साथ अंग्रजों की तरह अत्याचार कर रहे हैं ।
एनटीपीसी अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ खोला है मोर्चा
ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी का मौसम आते ही इस राखड़ बांध से राख उड़कर पूरे इलाके को ढंक लेता है। लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है। राख के कारण लोग घरों में कार्यक्रम भी नहीं कर पाते। हर साल राख से होने वाले नुकसान का मुआवजा देने का वादा किया जाता है मगर समय आने पर एनटीपीसी के जिम्मेदार अधिकारी मुंह फेर लेते हैं। अधिकारियों की इस मनमानी के खिलाफ हमने मोर्चा खोला है।
फसल के साथ-साथ सेहत पर भी बुरा प्रभाव
ग्रामीणों ने बताया कि राखड की वजह से किसानों को फसल का नुकसान तो झेलना ही पड़ता है साथ ही उनके सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। मैनेजमेंट की मनमानी के खिलाफ हमारा आंदोलन पहली बार सामने नहीं है बल्कि लगातार प्रदर्शन किया जाता रहा है। इस बार इलाके के ग्रामीणों ने आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है। अब देखना होगा कि इस आंदोलन का अड़ियल एनटीपीसी मैनेजमेंट पर कितना असर पड़ता है।